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Showing posts from 2008

समझौते के तहत हुई राज की गिरफ्तारी

अचानक खबर आई कि राज ठाकरे सरेंडर करने जा रहे हैं। 2 बजे खबर आई कि वो मजगांव की अदालत में सरेंडर करने के लिये निकले, 3 बजे खबर आई कि मुंबई पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और ठीक 4 बजे खबर आई कि उन्हें जमानत मिल गई। 2 घंटे में पूरा खेल खत्म हो गया। राजनीतिक पटल पर "सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे " वाली कहावत की ये एकदम ताजा मिसाल है। उत्तरभारतियों के खिलाफ भडकाऊ भाषण देने के आरोप में जमेदपुर की अदालत में एक वकील ने मामला दर्ज कराया। कोर्ट ने राज के खिलाफ नोटिस जारी किया। जब वो नहीं लौटे तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया। ये वारंट पहुंचा मुंबई पुलिस के पास जिसे वारंट की तामील करते हुए राज ठाकरे को पकड कर जमशेदपुर की अदालत के सामने हाजिर करना था।महाराष्ट्र सरकार के लिये ये दुविधा वाली हालत थी क्योंकि राज की गिरफ्तारी का मतलब था फिरसे राज्य में हिंसक वारदातों का होना, कानून व्यवस्था की हालत का खराब होना। सरकार अगर राज के खिलाफ कार्रवाई न करती तो न केवल न्यायिक प्रक्रिया की अवमानना होती बल्कि सरकार को केंद्र की ओर दबाव का भी सामना करना पडता, क्योंकि केंद्र सरकार खुद बि

कायरता का जवाब कायरता है हिंदू आतंकवाद

मुंबई, हैद्राबाद, जयपुर, बैंगलोर, अहमदाबाद, दिल्ली में जब भी बम धमाके हुए हमने कई राजनेताओं, धर्मगुरूओं, समाजसेवकों के मुख से बार बार यही वाक्य सुना - "ये एक कायरतापूर्ण कृत्य है।" मैं बिलकुल इस कथन से सहमत हूं। धर्म के नाम पर इस तरह से बेगुनाह लोगों की जान लेना वाकई में धिक्कारने योग्य है। मैं ये मानता हूं कि जो लोग अदालत के सामने इन बमकांड के लिये दोषी पाये जाएं उन्हें बिना किसी दया के फांसीं पर लटका दिया जाना चाहिये (वैसे फांसीं की सजा भी ऐसे लोगों के लिये कम ही नजर आती है) मानवाधिकार का राग अलापने वाले मृत्यूदंड विरोधियों को तनिक भी तरजीह नहीं दी जानी चाहिये...लेकिन यही सलूक सभी के साथ होना चाहिये...चाहे वो आतंकी किसी भी धर्म में विश्वास रखने वाला हो...वे लोग जो हाल ही में मालेगांव बम धमाकों के बाद ये कह रहे हैं कि ये धमाका हिंदुओं का जवाब था...प्रतिक्रिया थी...गुस्सा था...तो उनसे मैं सहमत नहीं हूं। इस मामले में दोगली सोच नहीं हो सकती। साध्वी, ले.कर्नल पुरोहित और उनके सहआरोपियों ने मालेगांव में धमाके किये या नहीं इसका फैसला न्यायिक प्रक्रिया करेगी..लेकिन मान लीजिये कि ये

हिंदू आतंकवाद - नांदेड धमाके से मिले थे संकेत

हिंदू आतंकवाद अपने पैर पसार रहा है ये बात एटीएस और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों को साल 2006 में ही पता चल गई थी। उस वक्त नांदेड में हुए बम धमाके की तहकीकात में ही ये बात साफ हो गई थी कि कई कट्टरपंथी एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन उस घटना से हासिल जानकारी को अनदेखा किया गया और नतीजतन कट्टरपंथी अपने मंसूबे में कामियाब हो गये। इसका सबूत है नांदेड धमाके के एक गवाह का बयान, जिसके मुताबिक उसने नागपुर के भोसला मिलिटरी स्कूल में कट्टरपंथियों की ट्रेनिंग देखी और पाया कि युवाओं में नफरत का जहर भरने में फौज और आईबी के पूर्व अफसर भी साथ दे रहे थे। ये बयान है नांदेड धमाके के गवाह समतकुमार भाटे का जो उन्होने एटीएस को दिया था। भाटे फिलीपिंस की लडाकू कला शॉर्ट स्टिक के जानकार हैं। साल 2000 में उन्हें बजरंग दल की ओर से बुलावा आया कि भाटे उनके कार्यकर्ताओं को भी इस कला कि ट्रेनिंग दें। ट्रेनिंग का ठिकाना था नागपुर का भोसला मिलिट्री स्कूल। भाटे ट्रेनिंग के लिये चले तो गये, लेकिन वहां जाकर उन्होने जो कुछ भी देखा उसने उन्हे हिलाकर रख दिया।) “ मई 2000 में मैं बजरंग दल के शिविर मे

बच्चे हैं डॉन के, छूना चाहते हैं आसमान

हर बाप चाहता है कि उनके बच्चे पढ-लिखकर अच्छा इंसान बने, अपने पैरों पर खडे हों और ऐसी चाहत हमारे आप के अलावा अंडरवर्लड डॉन भी रखते हैं। मुंबई अंडरवर्लड के सभी डॉन भले ही अपने आपराधिक करियर में अथाह खूनखराबा कर चुके हों, लेकिन अपने बच्चों को वे अपने जैसा नहीं बनाना चाहते। अगर इन गुनाह के खिलाडियों के बच्चों पर हम नजर डालें तो पायेंगे कि मां बाप भी इन्हें समाज में सम्मानजनक जगह दिलाना चाहते हैं। कोई अपने बच्चे को पायलट बनाना चाहता है, कोई डॉक्टर, कोई बिजनेस मैनेजर तो कोई राजनेता। अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम ने अपने करीब 30 साल के आपराधिक करियर में भले ही सैकडों जाने लीं हों, लेकिन वो चाहता है कि उसका बेटा लोगों को जिंदगी देने का काम करे। दाऊद का बेटा मोईन दाऊद कासकर ब्रिटेन में मेडिकल की पढाई कर रहा है और दाऊद उसे डॉक्टर बनाना चाहता है। साहब जादे की उम्र है करीब 25 साल । दाऊद के 4 बच्चों में मोईन तीसरे नंबर पर है। सबसे बडी बेटी माहरूख की शादी साल 2005 में जावेद मियांदाद के बेटे जुनैद से की गई थी। बाकी बेटियां अभी पढाई कर रहीं हैं। मोईन कासकर दाऊद का इकलौता बेटा है और सभी बच्चों में सबसे

मुंबई में बेफिक्र घूम रहा है दाऊद

दाऊद इब्राहिम इन दिनों मुंबई की सडकों पर बेफिक्र घूम रहा है। उसे न तो छोटा राजन से डर है और न ही पुलिस से। वो अपने साथ पंटरों को भी नहीं रखता। लोग भी उससे नहीं डरते... अगर आप समझ रहे हैं कि हम किसी फिल्मी या फिर दाऊद जैसे दिखने वाले किसी शख्स की बात कर रहे हैं तो आप गलत हैं। आप सोच रहे होंगे कि दाऊद इतना बेखौफ होकर मुंबई में क्यों घूम रहा है, क्या उसने अंडरवर्लड में अपने दुश्मनों से सुलह कर ली है और क्या भारतीय जांच एजेंसियों ने दाऊद के तमाम काले कारनामों की फाईल बंद कर दी है।आखिर माजरा क्या है? शेक्सपियर ने कहा था कि नाम में क्या रखा है, लेकिन इस व्यकित के नाम ने इसकी जिंदगी में फर्क ला दिया है। मुंबई के मसजिद बंदर इलाके में रहनेवाले इस वय्कित का नाम है दाऊद और अंडरवर्लड वाले दाऊद की तरह ही इसके पिता का भी नाम इब्राहिम ही है, यानी कि ये भी है दाऊद इब्राहिम। 1980 के दशक तक इस शख्स की जिंदगी में सब ठीक ठाक था, लेकिन उसके बाद दाऊद इब्राहिम जब मुंबई अंडरवर्लड का बहुत बडा नाम बन गया और दुबई से बैठ कर अपना कालाकारोबार चलाने लगा तो नतीजतन इस दाऊद की जिंदगी में भी दिक्कतें पेश आनें लगीं। मुं

लालबाग के राजा के दरबार में भक्तों से भेदभाव

लोग घंटों कतार में खडे रहकर लालबाग के राजा के दरबार में उनकी एक झलक पाने के लिये पहुंचते हैं, लेकिन मूर्ति के पास पहुंचते ही आसपास खडे कार्यकर्ता उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव करते हैं। महिला और बच्चों का भी ख्याल नहीं किया जाता। जो कार्यकर्ता किसी फिल्मी सितारे या राजनेता के पहुंचने पर उनकी आवभगत में जुट जाते हैं, वे ही आम श्रद्धालुओं को जरा सी भी देर होने पर धक्के मारकर पंडाल से बाहर कर देते हैं। एक महिला घंटो कतार में खडी रहकर लालबाग के राजा के दर्शनों के लिये आई थी॥राजा के दर्शन तो उसने कर लिये लेकिन उसके बाद जो सलूक उसके साथ हुआ वो इंसानियत को शर्मसार करता है। बडे अपमानजनक तरीके से एक कार्यकर्ता ने महिला को धक्के देकर मंच से बाहर कर दिया। महिला के साथ बदसलूकी करने वाल उस कार्यकर्ता के तेवर किसी गुंडे से कम नहीं थे। वो ये भी भूल गया कि ये गणपति का दरबार है और भक्त यहां बडी श्रद्धा के साथ आते हैं। ये तो था गणेशजी के एक आम भक्त के साथ कार्यकर्ताओं की ओर से किया जाने वाला सलूक, लेकिन जहां कोई फिल्मी हस्ती या राजनेता यहां पहुंचा नहीं कि मंडल के बडे पदाधिकारियों समेत यही कार्यकर्ता उसकी

मुंबई पुलिस का गैंगवार

गैंगवार। मतलब अंडरवर्लड की काली दुनिया के बीच गिरोहों की आपसी जंग...लेकिन ये गैंगवार सिर्फ अब अंडरवर्लड में ही नहीं होता। अंडरवर्लड के दुश्मन यानी कि पुलिस महकमें में भी एनकाउंटर स्पेलिस्ट अफसरों के बीच चलता है आपसी गैंगवार।हाल ही में मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेसलिस्ट अफसर प्रदीप शर्मा की वर्दी उतारे जाने के पीछे इस पुलिसिया गैंगवार की भी एक भूमिका मानी जा रही है। मुंबई की सडके कई बार खून से सन चुकीं हैं, कई बार यहां जीते जागते इंसान ढेर में बदले गये हैं, कई बार यहां हो चुकी है गोलियों की बौछार। वजह रही है गैंगवार। अंडरवर्लड पर दबदबा हासिल करने के लिये गिरोहों के बीच चलने वाला खूनी खेल। पहले ये गैंगवार दाऊद इब्राहिम और अरूण गवली के गिरोहों के बीच चलता था और फिर छोटा राजन का गिरोह दाऊद का नया दुश्मन बनकर उभरा। सभी एक दूसरे के खून के प्यासे थे।दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरूण गवली या फिर अश्विन नाईक भले ही आपस में भी लड मरें लेकिन इन सभी की एक ही दुश्मन है-मुंबई पुलिस। पर खुद क्या मुंबई पुलिस भी गैंगवार से अछूती है। मुंबई के तमाम क्राईम रिपोर्टर भी जानते हैं कि मुंबई पुलिस में भी पिछले

मोनिका बेदी का सच

मोनिका बेदी ने हाल ही में कुछ पत्र पत्रिकाओं में इंटरव्यू देकर बताया था कि किस तरह से वो अंडरवर्लड डॉन अबू सलेम के चंगुल में फंस गई। पर मुंबई पुलिस की क्राईम का मानना है कि इसमें थोडी हकीकत और काफी फसाना है। एक ऐसे शख्स का बयान पुलिस के पास है जो मोनिका बेदी को उस वक्त से जानता है जब बॉलीवुड में उसकी एंट्री हुई थी। इस बयान के मुताबिक मोनिका को अच्छी तरह से मालूम था कि वो काली दुनिया के एक बेहद खतरनाक आदमी से रिश्ते बढा रही थी। मुकेश दुग्गल के साथ पहला अफेयर मोनिका बेदी का पहला अफेयर मुकेश दुग्गल के साथ हुआ था। मोनिका और दुग्गल एक दूसरे के साथ पति पत्नी की तरह रहते थे। ये बात मुकेश दुग्गल की बीवी को पता थी इसलिये उनके बीच आये दिन झगडे होते रहते थे। मुकेश दुग्गल की हत्या हुई तो मोनिका और मुकेश की बीवी के बीच प्रोपर्टी के किसी पेपर्स को लेकर काफी बहस हुई थी। मुकेश दुग्गल की पत्नी को शक था कि उसके पत्नी ने मौत से पहले प्रोपर्टी के पेपर्स को दिये थे। मुकेश दुग्गल की बीवी के कारण अबू सलेम ने मोनिका बेदी को उन पेपर्स के सिलसिले में जानकारी के लिये फोन किया था। इस तरह से मोनिका पहली बार अबू स

टार्गेट मुंबई

इंडियन मुजाहिदीन ने अब अपना निशाना मुंबई को बनाने की धमकी दी है।देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पहले भी आतंकवादियों का निशाना बन चुकी है। पिछले 15 साल में मुंबई के लगभग सभी प्रमुख इलाकों में बम धमाके हो चुके हों। चाहे लोकल ट्रेनें हो, बेस्ट की बसें हों, बाजार हों या फिर टूरिस्ट सेंटर हो आतंकवादियों ने हर जगह पर खूनी साजिशों को अंजाम दे चुके हैं। 12 मार्च 1993 को आतंकवादियों ने मुंबई में सिलसिलेवार धमाके किये थे, जिनमें 257 लोग मारे गये, जबकि करीब 700 लोग घायल हुए थे। उस हमले के बाद भी मुंबई को आतंकवादियों ने 7 बार अपना निशाना बनाया। 2 दिसंबर 2002- घाटकोपर रेल स्टेशन के बाहर एक बेस्ट की बस में विस्फोट होता है। इस धमाके में 2 लोग मारे गये जबकि दर्जभर लोग घायल हुए। धमाकों के लिये प्रतिबंधित संगठन सिमी को जिम्मेदार माना गया। कुछ महीने पहले ही केंद्र सरकार ने सिमी पर बैन का ऐलान किया था। 6 दिसंबर 2002- घाटकोपर बस धमाके के 4 दिन बाद ही मुंबई सेंट्रल रेल स्टेशन पर मैक डॉनाल्ड रेस्तरां में जोरदार धमाका होता है। एयरकंडिश्नर डक्ट में छुपाये गये इस बम के विस्फोट से 25 लोग घायल हुए। इस हमले के पीछे

डी कंपनी का नया पैंतरा - रिश्तों की रणनीति

डॉन के घर फिर बजी शहनाई। फिर हुआ जश्न। फिर जुटे अपने...लेकिन गुपचुप। अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम ने अपने मरहूम भाई साबिर के बेटे रज्जाक उर्फ जाकिफ की शादी पिछले महीने कराची में एक आईएसआई अफसर की बेटी से करवाई। दाऊद रज्जाक को अपना बेटा मानता है। रज्जाक के पिता साबिर की 80 के दशक में दुश्मन पठान गैंग ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। चूंकि दाऊद अमेरिका और भारत की खुफिया एजेंसियों के निशाने पर है इसलिये ये सब हुआ बिलकुल गुपचुप. २६ जून २००८ को रज्जाक की शादी एक आईएसआई अफसर की बेटी नसरीन से हुई। ये एरेंजड मैरेज थी। रिश्ता खुद दाऊद ने ही तय किया था। निकाह के मौके पर छोटा शकील और फहीम जैसे गिरोह के कुछ खास गुर्गों के अलावा दाऊद का भाई अनीस, हुमांयू, मुस्तकीम और नूरा मौजूद थे।मुंबई में रह रही दाऊद की बहन हसीना और भाई इकबाल कासकर ही 2 ऐसे करीबी रिश्तेदार थे, जो इस मौके पर गैरहाजिर थे। लडकी वालों की ओर से भी सगे संबंधियों के अलावा कुछ चुनिंदा आईएसआई अफसरों को ही बुलाया गया। फरवरी 1980 में मुंबई के प्रभादेवी इलाके में साबिर की पठान गैंग ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। साबिर की हत्या के बाद उसकी पत्नी

डी कंपनी का नया पैंतरा - रिश्तों की रणनीति

डॉन के घर फिर बजी शहनाई। फिर हुआ जश्न। फिर जुटे अपने...लेकिन गुपचुप।अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम ने अपने मरहूम भाई साबिर के बेटे रज्जाक उर्फ जाकिफ की शादी पिछले महीने कराची में एक आईएसआई अफसर की बेटी से करवाई। दाऊद रज्जाक को अपना बेटा मानता है। रज्जाक के पिता साबिर की 80 के दशक में दुश्मन पठान गैंग ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। चूंकि दाऊद अमेरिका और भारत की खुफिया एजेंसियों के निशाने पर है इसलिये ये सब हुआ बिलकुल गुपचुप.२६ जून २००८ को रज्जाक की शादी एक आईएसआई अफसर की बेटी नसरीन से हुई। ये एरेंजड मैरेज थी। रिश्ता खुद दाऊद ने ही तय किया था। निकाह के मौके पर छोटा शकील और फहीम जैसे गिरोह के कुछ खास गुर्गों के अलावा दाऊद का भाई अनीस, हुमांयू, मुस्तकीम और नूरा मौजूद थे।मुंबई में रह रही दाऊद की बहन हसीना और भाई इकबाल कासकर ही 2 ऐसे करीबी रिश्तेदार थे, जो इस मौके पर गैरहाजिर थे। लडकी वालों की ओर से भी सगे संबंधियों के अलावा कुछ चुनिंदा आईएसआई अफसरों को ही बुलाया गया।फरवरी 1980 में मुंबई के प्रभादेवी इलाके में साबिर की पठान गैंग ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। साबिर की हत्या के बाद उसकी पत्नी शहना

हाई टाईड आने की आशंका !

एक बार फिर कुछ शब्द न्यूज चैनलों पर मुंबईया बारिश के कवरेज को लेकर.... 4 दिनों पहले एक राष्ट्रीय चैनल पर लाईव हो रहा था। रिपोर्टर मुंबई के एक समुद्र तट पर खडा था और एंकर उससे बारिश से शहर के जनजीवन पर होने वाले असर को लेकर सवाल पूछ रहा था। अचानक एंकर ने रिपोर्टर से एक सवाल पूछा जिससे मै चौंक पडा – क्या पुणे में भी हाई टाईड आने की आशंका है ? इस सवाल से मुझे हंसी भी आई और गुस्सा भी। एंकर महोदय को कौन समझाये कि हाईटाईड कोई भूकंप या चक्रवात नहीं है, जिसके की आने की आशंका हो। ये तो समुद्र में होने वाली दैनिक क्रिया है , जिसका संबंध चांद की गुरूत्वाकर्षण शकित से जुडा है। जिस तरह हम सांसे लेते हैं उसी तरह से समुद्र में रोज ज्वार भाटा आता है। हाई टाईड यानी ज्वार से मुंबई में दिक्कत सिर्फ तब ही होती है जब भारी बारिश के साथ इसका मेल हो जाये। हाई टाईड के वक्त ऊंची लहरें उठतीं हैं और इससे होता ये है कि मुंबई के मल निकासी सिस्टम से जो गंदा पानी समुद्र की ओर जाना होता है वो निकल नहीं पाता और इसकी वजह से शहर में जगह जगह पानी भर जाता है, ट्रेन सेवाओं पर असर पडता है और लोगों को कई तरह की परेशानियां झेल

सावधान! ये बारिश फर्जी है

मुंबई में अगर कोई एक मौसम तकलीफ देता है तो वो है मानसून। हर साल जून से लेकर अगस्त के बीच आपको तमाम टीवी चैनलों पर एक जैसी तस्वीरें देखने मिलेंगीं। वही सडकों पर भरा पानी, उसमें फंसे वाहन, वही पटरियों पर फंसीं लोकल ट्रेनें और छाता लगाकर उसके किनारे चलते लोग। मिलन सबवे, खार सबवे, मालाड सबवे जैसी जगहों के नाम राष्ट्रीय चैनलों पर इतनी बार पिछले चंद सालों में चल चुके हैं कि लगता है जल्द ही वे कुतुब मिनार की तरह मशहूर हो जायेंगे। आज सुबह 8 बजे के करीब भी मैने एक राष्ट्रीय चैनल पर ऐसी ही तस्वीरें चलतीं देखीं। तस्वीरों के साथ रिपोर्टर का फोनो भी चल रहा था कि मुंबई में सबकुछ अस्तव्यस्त हो गया है, त्राही त्राही मच गई है, लोकल ट्रेन लेट हो गई है। सारे सबवे भर चुके हैं वगैरह वगैरह.....उस चैनल पर ये खबर देख मैने इस ख्याल के साथ एक लंबी सांस ली कि लगता है आज भी बारिश के कवरेज पर ही रिपोर्टरों की पूरी फोर्स लगानी होगी। दूसरी खबरों पर काम नहीं हो पायेगा। इसी उलझन के साथ मैं घर की बालकनी में पहुंचा। बाहर देखा तो चौंक पडा। सडक गिली थी, लेकिन भारी बारिश हुई हो ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था। कुछ देर पहले हल्की