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Showing posts from June, 2010

The No Nonsense Blog: मुंबई में हर हफ्ते होता है "भूतों" का जमावडा।

The No Nonsense Blog: मुंबई में हर हफ्ते होता है "भूतों" का जमावडा। : "मुंबई में हर गुरूवार एक जगह होता है ऐसे लोगों का जमावडा जिनके बारे में नाते रिश्तेदार मानते हैं कि उन्हें भूत-प्रेत ने जकड रखा है। ये लोग वह..."

मुंबई में हर हफ्ते होता है "भूतों" का जमावडा।

मुंबई में हर गुरूवार एक जगह होता है ऐसे लोगों का जमावडा जिनके बारे में नाते रिश्तेदार मानते हैं कि उन्हें भूत-प्रेत ने जकड रखा है। ये लोग वहां नाचते हैं गाते हैं, ऊट पटांग हरकतें करते हैं और अपने आप से बातें करते हैं।मैने खुफिया कैमरे से जब इसकी पडताल की तो पाया कि मुंबई जैसे शहर में भी कई पढे लिखे लोग अंधविश्वास में यकीन करते हैं और अपने बीमार नाते रिश्तेदारों का इलाज कराने तंत्र-मंत्र का सहारा लेते हैं। डेढ करोड की आबादी वाला महानगर मुंबई देश के सबसे आधुनिक शहरों में से एक गिना जाता है...लेकिन अपनी इस पडताल में मैने जो तस्वीर देखी वो मुंबई की इस इमेज से मेल नहीं खाती और आपको सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या वाकई में हम 21 वीं सदी में रहते हैं। ये जगह है मुंबई के हार्बर लाईन रेल स्टेशन रे रोड के करीब दातार दरगाह।यहां हर गुरूवार की शाम सैकडों लोग जमा होते हैं। दरगाह के बाहर का माहौल बडा ही अजीब और डरावना होता है। कोई औरत लगातार 2 घंटे से झूम रही होती है। उसे लग रहा होता है कि उसके शरीर में किसी खतरनाक चुडैल की आत्मा घुस गई है। खुद को राक्षस समझ रहा एक आदमी बडी देर से इसी तरह अपना स

"दाऊदभाई न होते तो मुसलमानों का क्या होता.."

गुरूवार की सुबह मुझे हल्का बुखार लग रहा था और शरीर में कमजोरी भी महसूस हो रही थी। कार चलाकर दफ्तर जाने का मूड नहीं था इसलिये मैं टैक्सी से महालक्ष्मी में अपने दफ्तर पहुंचा। शाम को मुझे नानी से मिलने दक्षिण मुंबई के बॉम्बे अस्पताल जाना था, जहां वे मोतीबिंदू के ऑपरेशन के लिये भर्ती हुईं थीं। मैने महालक्ष्मी से बॉम्बे अस्पताल जाने के लिये टैक्सी पकडी। टैक्सी वाला एक बुजुर्ग शख्श था।चेहरे पर हल्की सफेद दाढी उग आई थी। तेज बारिश के कारण टैक्सी काफी धीमी रफ्तार से आगे बढ रही थी। उस टैक्सी वाले ने मुझसे पूछा- साब 2 दिन टैक्सी हडताल पर थी तो पब्लिक को बहुत तकलीफ हुई होगी न? टैक्सीवाले का सवाल एक दिन पहले हुई टैक्सी की हडताल से था। टैक्सी वाले सीएनजी की कीमत बढने की वजह से टैक्सी का किराया बढाने की मांग को लेकर हडताल पर उतरे थे। बाद में जब सरकार ने किराया बढाने का ऐलान किया तो उन्होने अपनी हडताल वापस ली। टैक्सी वाले के सवाल पर मैने उससे उलटा सवाल पूछा- तकलीफ तो हुई थी। तुम किस यूनियन के हो...क्वाड्रोस के? शिवसेना के या किसी दूसरी यूनियन के? टैक्सी ड्राईवर-हम तो सबके हैं और किसी के भी नहीं

स्वार्थी डॉन दाऊद इब्राहिम

अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम खुदगर्ज है। वो अपने साथियों का इस्तेमाल करके उन्हें उनके हाल पर छोड देता है। ये कहना है मंगलवार को अबू धावी से गिरफ्तार किये गये मुंबई बमकांड के आरोपी ताहिर मर्चंट उर्फ टकल्या का। पहले भी दाऊद के कुछ साथी उसपर यूज एंड थ्रो की नीति अपनाने का आरोप लगा चुके हैं। ताहिर टकल्या को अपनी गिरफ्तारी से ज्यादा मलाल अपने आका दाऊद इब्राहिम की अनदेखी का है। ताहिर टकल्या पर दाऊद की ओर से रची गई मुंबई बमकांड की साजिश में हिस्सा लेने का आरोप है। पिछले सत्रह सालों से सीबीआई उसे तलाश रही थी। मंगलवार को उसे अबू धाबी से प्रत्यर्पित करके भारत लाया गया। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक हवालात में टकल्या दाऊद इब्राहिम को कोस रहा है। टकल्या के मुताबिक 12 मार्च 1993 के मुंबई बमकांड के बाद कुछ दिनों तक तो दाऊद और उसके साथी टाईगर मेमन ने साजिश में शामिल लोगों की देखभाल की..लेकिन जैसे जैसे वक्त आग बढा दाऊद ने उनकी अनदेखी करनी शुरू कर दी। दाऊद इब्राहिम से रू बरू मिल पाना भी मुश्किल हो गया। एक तो कभी भी पकडे जाने की तलवार सिर पर लटक रही थी उसपर दाऊद ने दाना पानी भी देना बंद कर दिया। ऐसे में ट

क्या छोटा राजन गिरोह खात्में के कगार पर है ?

गैंगस्टर फरीद तनाशा की हत्या के बाद अब अंडरवर्लड में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या छोटा राजन का गिरोह खत्म हो गया है। बीते 10 सालों में राजन के कई खास साथियों ने उससे गद्दारी करके अलग गिरोह बनाया, कुछ दुश्मनों या पुलिस के हाथों मारे गये और कुछ गिरफ्तार हुए। इससे अंडरवर्लड में छोटा राजन की पकड लगातार ढीली पडती गई। फरीद तनाशा उन चंद बचे खुचे गैंगस्टरों में से था जो अब तक छोटा राजन के साथ थे। तनाशा ही इन दिनों मुंबई में राजन गिरोह का काला कारोबार संभाल रहा था। तनाशा की हत्या ने राजन गिरोह के ताबूत में एक और कील ठोंक दी है। अंडरवर्लड में सवाल उठ रहा है कि अब क्या छोटा राजन का खौफ बरकरार रह पायेगा? क्या उसके धमकी भरे फोन कॉल्स से डरकर फिल्मी हस्तियां, बिल्डर और बडे कारोबारी उस तक मोटी रकम पहुंचायेंगे? क्या राजन के कट्टर दुश्मन दाऊद इब्राहिम के लोगों को उससे छुपने की जरूरत पडेगी ? हाल के सालों में राजन गिरोह की जो दुर्दशा हुई है उस पर गौर करें तो जवाब मिलता है नहीं। 15 सितंबर 2000 को राजन पर बैंकॉक में हमला हुआ और तबसे राजन गिरोह ने बिखरना शुरू कर दिया। ये हमला अंडरवर्लड डॉन दाऊद इब्राहिम के