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ठहरो...ठहरो..रामलीला अभी जारी है...

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दशहरे का दिन दस दिवसीय रामलीला आयोजन का आखिरी दिन होता है। इस दिन रामलीला शाम 7 या 8 बजे शुरू होने के बजाय 6 या 7 बजे ही शुरू हो जाती है। दर्शकों की सबसे ज्यादा भीड रामलीला मैदान में इसी दिन दिखाई देती है। मैदान के एक किनारे रंगबिरंगा और भीमकाय रावण का पुतला राख में तब्दील होने के लिये तैयार रहता है। आमतौर पर इस दिन हनुमानजी के हाथों अहिरावण वध का प्रसंग दिखालाया जाता है और उसके बाद होता है राम और रावण का महायुद्ध। विभीषण की सलाह पर राम, रावण की तोंद का निशाना लगाते हैं और रावण ढेर हो जाता है। कई रामलीला मंडलियां रावण की मौत से पहले उस प्रसंग को भी दिखातीं है जिसमें राम, लक्ष्मण से कहते हैं कि वो अंतिम सांसे गिन रहे रावण से राजनीति की शिक्षा लेकर आयें। रावण के मरते ही सभी दर्शकों के चेहरे मंच से हटकर मुड जाते हैं रावण के पुतले की तरफ। आसमान में रंग बिरंगी आतिशबाजी शुरू हो जाती है। बम पटाखों की गर्जना असत्य पर सत्य की विजय की सालाना घोषणा करती है। रावण के पुतले में जडे आतिशबाजी के तमाम आईटम सक्रीय हो जाते हैं और कुछ मिनटों में ही बीते दस दिनों की मेहनत से तैयार की गई ये कलाकृति आग